Tourism – The National News http://thenationalnews.org Sat, 25 Sep 2021 14:24:20 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.3 चारधाम यात्रा में पंजीकृत यात्रियों के नहीं पहुंचने पर अब दूसरों को मिलेगा दर्शन का मौका http://thenationalnews.org/others-will-get-a-chance-to-have-darshan-if-the-passengers-registered-in-chardham-yatra-do-not-reach/ http://thenationalnews.org/others-will-get-a-chance-to-have-darshan-if-the-passengers-registered-in-chardham-yatra-do-not-reach/#comments Sat, 25 Sep 2021 14:21:19 +0000 https://nationalwartanews.com/?p=13138 देहरादून (सू0वि0) । उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2021 संचालन हेतु उत्तराखंड शासन के धर्मस्व विभाग द्वारा जारी एसओपी में तीर्थ यात्रियों की संख्या निर्धारित की गयी। शासन के संज्ञान में आया है कि 18 सितंबर से शुरू हुई चारधाम यात्रा में देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट www.devasthanam.uk.gov.in मे पंजीकृत तीर्थयात्रियों में से प्रतिदिन कम श्रद्धालु चारों धाम …

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देहरादून (सू0वि0) । उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2021 संचालन हेतु उत्तराखंड शासन के धर्मस्व विभाग द्वारा जारी एसओपी में तीर्थ यात्रियों की संख्या निर्धारित की गयी। शासन के संज्ञान में आया है कि 18 सितंबर से शुरू हुई चारधाम यात्रा में देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट www.devasthanam.uk.gov.in मे पंजीकृत तीर्थयात्रियों में से प्रतिदिन कम श्रद्धालु चारों धाम पहुंच रहे है। अत: एसओपी के अनुसार श्री बदरीनाथ धाम हेतु 1000 ( एक हजार),श्री केदारनाथ हेतु 800( आठ सौ) श्री गंगोत्री हेतु 600 (छ: सौ) श्री यमुनोत्री हेतु 400 (चार सौ) तीर्थयात्री प्रतिदिन चारों धाम पहुंच सके इस संबंध में प्रदेश के धर्मस्व विभाग द्वारा आदेश जारी किया गया। धर्मस्व एवं तीर्थाटन सचिव श्री हरिचंद्र सेमवाल ने कहा कि एसओपी के अनुसार जो पंजीकृत तीर्थयात्री निर्धारित तिथि को उत्तराखंड चारधाम नहीं पहुंच पा रहे हैं , उनके स्थान पर अन्य पंजीकृत तीर्थयात्री चारधामों में दर्शन को जा सकेंगे।
आयुक्त गढ़वाल/मुख्य कार्यकारी अधिकारी चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड , जिलाधिकारी चमोली, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी को आदेश पर तत्काल अमल किये जाने हेतु कहा गया है, साथ ही तीनों जिलों के पुलिस अधीक्षकों को भी अनुपालन हेतु आदेश भेजे गये हैं।

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मंदिरों का शहर किसे कहा जाता है ? अगर आप जानते हैं तो कमैंट्स करें नहीं तो क्लीक करके देंखे http://thenationalnews.org/which-is-called-the-city-of-temples-if-you-know-then-comment/ http://thenationalnews.org/which-is-called-the-city-of-temples-if-you-know-then-comment/#comments Mon, 09 Aug 2021 15:17:56 +0000 https://nationalwartanews.com/?p=12193 बनारस को मंदिरों का शहर कहा जाता है. यहां कई ऐसे मंदिर हैं, जिनके बारे में यह मान्यता है कि सच्चे मन से अगर उन मंदिरों का दर्शन किया जाए, तो मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. आइए जानते हैं उन मंदिरों के बारे में… बनारस या वाराणसी में एक से ब़ढकर एक मंदिर हैं, तभी …

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बनारस को मंदिरों का शहर कहा जाता है. यहां कई ऐसे मंदिर हैं, जिनके बारे में यह मान्यता है कि सच्चे मन से अगर उन मंदिरों का दर्शन किया जाए, तो मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. आइए जानते हैं उन मंदिरों के बारे में…

बनारस या वाराणसी में एक से ब़ढकर एक मंदिर हैं, तभी तो इसे मंदिरों का शहर कहा जाता है. यहां देश के अन्य भागों से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी श्रद्घालु दर्शन के लिए आते रहते हैं. हिंदुओं के इष्ट शिव हों या हनुमान या फिर देवी दुर्गा, सीताराम, काल भैरव या अन्नपूर्णा. यहां के मंदिरों की भव्यता का डंका पूरे विश्‍व में बजता है. कहा जाता है कि सारे हिंदू देवताओं का वास काशी में होता है. हम आपको पहले दर्शन करवाते हैं काल भैरव मंदिर का.

काल भैरव – यह मंदिर अन्य मंदिरों से अलग है, जो वाराणसी के विशेश्वर गंज में स्थित है. यहां अन्य मंदिरों की तरह चमक-दमक देखने को नहीं मिलती, लेकिन यह भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है. यहां भगवान का चेहरा काला दिखाया गया है. काल भैरव के मंदिर में लोग कई तरह की व्याधियों से छुटकारा पाने के लिए जाते हैं. काल भैरव का वर्णन शास्त्रों में कई जगह मिलता है. भैरव शिव के गण माने जाते हैं. भैरव की सवारी कुत्ता है. उन्हें चमेली का फूल प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा में इसका विशेष महत्व है. भैरव रात्रि के देवता माने जाते हैं और उनकी आराधना का खास समय भी मध्य रात्रि में 12 से 3 बजे का माना जाता है. भैरव के नाम के जप मात्र से ही मनुष्य को कई रोगों से मुक्ति मिलती है. वह संतान को लंबी उम्र प्रदान करते हैं. अगर आप भूत-प्रेत बाधा, तांत्रिक क्रियाओं से परेशान हैं, तो शनिवार या मंगलवार को कभी भी अपने घर में भैरव पाठ का वाचन करा कर समस्त कष्टों और परेशानियों से मुक्त हो सकते हैं. जन्म कुंडली में अगर आप मंगल ग्रह के दोषों से परेशान हैं, तो भैरव की पूजा करके पत्रिका के दोषों का निवारण आसानी से कर सकते हैं. राहु-केतु के उपायों के लिए भी उनका पूजन करना अच्छा माना जाता है. भैरव की पूजा में काली उड़द और उड़द से बने इमरती, दही बड़े, दूध और मेवा का भोग लगाना लाभकारी है. इससे भैरव प्रसन्न होते हैं. भैरव कवच से असामयिक मृत्यु से बचा जा सकता है.

विश्‍वनाथ मंदिर – काशी विश्‍वनाथ जी का मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह मंदिर कई वर्षों पुराना है. माना जाता है कि पवित्र गंगा में स्नान कर काशी विश्‍वनाथ जी का एक बार दर्शन मात्र से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और मोक्ष प्राप्त होती है. इस मंदिर में दर्शन करने के लिए करोड़ो लोग हर वर्ष आते हैं. नया विश्‍वनाथ मंदिर भी भव्य है, जो बनारस हिन्दू विश्‍वविद्यालय के परिसर में बना हुआ है.

अन्नपूर्णा मंदिर – काशी विश्‍वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर अन्नपूर्णा माता का मंदिर है. उन्हें तीनों लोकों की माता माना जाता है. कहा जाता है कि उन्होंने स्वयं भगवान शंकर को खाना खिलाया था.यह मंदिर भी दर्शनीय है.

दुर्गा मंदिर – दुर्गा माता मंदिर 18 वीं शताब्दी में बना था. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि दुर्गा जी की प्रतिमा मानव निर्मित नहीं है, बल्कि यह प्रतिमा मंदिर में अपने आप ही प्रकट हुई थी. दुर्गा मंदिर के सामने ही एक बड़ा तालाब है, जिसे दुर्गा कुंड के नाम से जाना जाता है.

संकट मोचन – संकट मोचन मंदिर रामभक्त हनुमान जी को समर्पित है और काफी लोकप्रिय है. यहां मंगलवार और शनिवार को सुबह से लेकर शाम तक काफी संख्या में लोग आते हैं. शाम के समय यहां भव्य आरती होती है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. यहां की एक खास विशेषता है बंदरों की विशाल संख्या, जो भारत के किसी भी मंदिर में देखने को नहीं मिलती. कहा जाता है कि चूंकि हनुमान जी बंदर के ही रूप थे, इसलिए यहां के मंदिरों में बंदरों की संख्या बहुत अधिक पाई जाती है. मान्यता है कि यहां मांगी गईं सारी मन्नतें पुरी हो जाती हैं.

साक्षी गणेश – पंचकोशी यात्रा को पूरा कर तीर्थयात्री साक्षी गणेश के दर्शन के लिए जाते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन के बाद ही पंचकोशी यात्रा पूर्ण होती है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि सच्चे मन से मंदिर का दर्शन करने पर सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

विशालाक्षी मंदिर – काशी विश्‍वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर विशालाक्षी मंदिर स्थित है, जो इक्यावन शक्ति पीठों में से एक है. कहा जाता है माता शती की यहां आंख गिरी थी. यह मंदिर भी बहुत सुंदर है. -साभार

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चारधाम कपाट खुलने की तिथियां घोषित होंगी http://thenationalnews.org/chardham-kapat-opening-dates-will-be-announced/ http://thenationalnews.org/chardham-kapat-opening-dates-will-be-announced/#comments Thu, 04 Feb 2021 15:36:31 +0000 https://news.nationalwartanews.com/2021/02/04/chardham-kapat-opening-dates-will-be-announced/ उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2021 * चारधाम कपाट खुलने की तिथियां घोषित होंगी। * श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बसंत पंचमी को नरेन्द्र नगर राजदरबार में तय होगी।* श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 11 मार्च शिवरात्रि के अवसर पर तय होगी। * श्री गंगोत्री एवं श्री यमुनोत्री धाम परंपरागत रुप …

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उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2021

* चारधाम कपाट खुलने की तिथियां घोषित होंगी।

* श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बसंत पंचमी को नरेन्द्र नगर राजदरबार में तय होगी।
* श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 11 मार्च शिवरात्रि के अवसर पर तय होगी।

* श्री गंगोत्री एवं श्री यमुनोत्री धाम परंपरागत रुप से प्रत्येक यात्राकाल में अक्षय तृतीया के दिन खुलते है।

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ऋषिकेश/ देहरादून। । श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बसंत पंचमी 16 फरवरी मंगलवार को पंचाग गणना के पश्चात विधि-विधान से नरेन्द्रनगर स्थित राजदरबार में तय होगी। प्रात: 9.30 बजे से राजदरबार में कपाट खुलने की तिथि घोषित किये जाने हेतु समारोह शुरू होगा । इसी दिन गाडू घड़ा तेलकलश यात्रा का भी दिन निश्चित हो जायेगा।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़ ने यह जानकारी दी। बताया कि श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में 11 मार्च बृहस्पतिवार शिवरात्रि के अवसर पर तय होगी जबकि श्री गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट परंपरागत रूप से अक्षय तृतीया के दिन खुलते है। तीर्थ पुरोहितों द्वारा नव संवत्सर के दिन शीतकालीन प्रवास मुखवा में श्री गंगोत्री धाम तथा शीतकालीन प्रवास खरसाली में यमुना जयंती पर श्री यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का समय तय किया जाता है।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि निर्धारण हेतु नरेंद्रनगर राजदरबार में प्रात: 9.30 बजे से कार्यक्रम शुरू हो जायेगा। इस दौरान कोरोना बचाव मानको का पालन किया जायेगा शोसियल डिस्टेंसिंग, सेनिटाईजर का प्रयोग एवं मास्क पहनना जरूरी होगा।
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गाडू घड़ा(तेल कलश) श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ एवं योग ध्यान बदरी पांडुकेश्वर में पूजा अर्चना के बाद 15 फरवरी शाम को देवस्थानम बोर्ड के चंद्रभागा स्थित धर्मशाला में पहुंचेगा। तथा 16 फरवरी को प्रात: राजदरबार के सुपुर्द किया जायेगा इसी पवित्र घड़े में बाद में समारोह पूर्वक तिलों का तेल भगवान बदरीविशाल के अभिषेक हेतु कपाट खुलने के अवसर पर डिमरी पुजारियों द्वारा बदरीनाथ धाम पहुंचाया जायेगा।
इस अवसर पर महाराजा मनुजयेंद्र शाह, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, चारधाम विकास परिषद उपाध्यक्ष आचार्य शिवप्रसाद ममगाई, बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वरीप्रसाद नंबूदरी,पं संपूर्णानंद जोशी, आयुक्त गढ़वाल/ देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह, देवस्थानम बोर्ड के वित्त नियंत्रक जगत सिंह चौहान, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल सहित डिमरी धार्मिक केन्द्रीय पंचायत पदाधिकारी विनोद डिमरी, आशुतोश डिमरी, नरेश डिमरी, ज्योतिष डिमरी एवं आचार्य – वेदपाठीगण तथा श्रद्धालुजन नरेन्द्रनगर राजदरबार पहुंचेगे। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि निश्चित होते ही चारधाम यात्रा की तैयारियां ब्यापक स्तर पर शुरू की जायेगी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विगत दिनों से चारों धामों में बर्फ पिघलने लगी थी लेकिन मौसम सर्द होने से उच्च हिमालयी क्षेत्र में बर्फवारी हो रही है उम्मीद की जा सकती है कि यात्रा शुरू होने तक बर्फ मौजूद रह सकती है।

*देवस्थानम बोर्ड के लिए मीडिया प्रकोष्ठ द्वारा जारी

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सरकार का उद्देश्य राज्य में पर्यटन सुविधाओं का अधिकतम विकास करना है -दिलीप जावलकर http://thenationalnews.org/the-aim-of-the-government-is-to-maximize-the-development-of-tourism-facilities-in-the-state-dilip-javalkar/ http://thenationalnews.org/the-aim-of-the-government-is-to-maximize-the-development-of-tourism-facilities-in-the-state-dilip-javalkar/#comments Sat, 30 Jan 2021 17:55:09 +0000 https://news.nationalwartanews.com/2021/01/30/the-aim-of-the-government-is-to-maximize-the-development-of-tourism-facilities-in-the-state-dilip-javalkar/ सचिव पर्यटन, उत्तराखंड शासन, दिलीप जावलकर द्वारा श्री केदारनाथ धाम के पुनर्विकास कार्यों को गति प्रदान करने की श्रृंखला में नई दिल्ली में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, सीएसआर, एमएसडी भट्टामिश्रा के साथ एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया। समझौते के अनुसार एनटीपीसी द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में ₹25 करोड़ की …

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सचिव पर्यटन, उत्तराखंड शासन, दिलीप जावलकर द्वारा श्री केदारनाथ धाम के पुनर्विकास कार्यों को गति प्रदान करने की श्रृंखला में नई दिल्ली में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, सीएसआर, एमएसडी भट्टामिश्रा के साथ एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया। समझौते के अनुसार एनटीपीसी द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में ₹25 करोड़ की धनराशि श्री केदारनाथ धाम में विभिन्न पुनर्निर्माण कार्यों एवं यात्री सुविधाओं के विकास हेतु प्रदान की जाएगी। ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य शीर्षस्थ उपक्रमों तथा श्री केदारनाथ धाम चैरिटेबल ट्रस्ट के मध्य रुपए 100 करोड़ से अधिक धनराशि के समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए जा चुके हैं। समझौता ज्ञापन के अनुसार एनटीपीसी द्वारा श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट में ₹25 करोड़ का योगदान दिया जाएगा। धनराशि का उपयोग मंदाकिनी में आस्था पथ, कतार प्रबधन, तीर्थ यात्रियों के बैठने तथा रेन शेल्टर निर्माण; सरस्वती नदी की ओर वाटर एटीएम निर्माण तथा मंदिर प्लाजा में रेन शेल्टर के निर्माण आदि कार्यों में किया जा सकेगा। केदारनाथ टाउन केेे पुनर्विकास कार्यों के लिए नोडल संस्था केेे रूप में कार्य करने वाले श्री केदारनाथ चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा इन सभी कार्यों के लिए यथोचित अधिकरणों से अनिवार्य क्लीयरेंस प्राप्त किया जाना होगा।  सचिव पर्यटन ने बताया कि समझौता ज्ञापन के अनुसार एनटीपीसी द्वारा धनराशि का भुगतान श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट को किस्तों में किया जाएगा। ट्रस्ट द्वारा धनराशि का उपयोग उन्हीं कार्यों के लिए किया जाएगा जिनके लिए कि वह निर्गत की जा रही हैं। साथ ही कार्यदाई संस्थाओं के चयन में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाएगी और अधिप्राप्ति नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। सचिव पर्यटन ने बताया कि इससे पूर्व इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन द्वारा 27.96 करोड़, ओएनजीसी द्वारा 26 करोड़, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन द्वारा 23.52 करोड़ तथा पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन द्वारा 25.6 करोड़ की धनराशि कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के अंतर्गत श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट को दिए जाने के संबंध में समझौता ज्ञापन निष्पादित किए जा चुके हैं। सचिव पर्यटन ने बताया कि इन समझौतों के अंतर्गत किए जाने वाले कार्यों के संबंध में निविदा प्रक्रिया पूर्ण करते हुए कार्यदाई संस्थाओं का चयन कर लिया गया है, जिसके फलस्वरूप शीघ्र ही केदारनाथ टाउन पुनरुद्धार के अंतर्गत अवस्थापना कार्य आरंभ हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य अधिकतम सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की भागीदारी प्राप्त करते हुए राज्य में पर्यटन सुविधाओं का अधिकतम विकास करना है ताकि पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो सके और स्थानीय लोगों को विविध प्रकार के और अधिक आमदनी वाले रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके। उन्होंने एनटीपीसी के प्रतिनिधियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि निर्माण कार्यों में पर्यावरण नियमों तथा पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखा जाएगा। –सू0वि0

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कमल किशोर जोशी

जनसंपर्क अधिकारी

उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद

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ऐतिहासिक कलैक्ट्रेट मल्ला महल के पुर्ननिर्माण कार्यों की समीक्षा http://thenationalnews.org/review-of-the-reconstruction-work-of-the-historic-collectorate-malla-mahal/ http://thenationalnews.org/review-of-the-reconstruction-work-of-the-historic-collectorate-malla-mahal/#comments Tue, 21 Jul 2020 00:00:00 +0000 https://news.nationalwartanews.com/2020/07/21/review-of-the-reconstruction-work-of-the-historic-collectorate-malla-mahal/ अल्मोड़ा (संवाददाता)। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने आज वीसी के माध्यम से जनपद में ऐतिहासिक कलैक्ट्रेट (मल्ला महल) के पुर्ननिर्माण कार्यों व 13 डिस्ट्रिीक 13 डेस्टीनेशन के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कलैक्ट्रेट को हेरिटेज स्थल के रूप में विकसित किया जाना है इस हेतु पर्यटन विकास परिषद द्वारा …

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अल्मोड़ा (संवाददाता)। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने आज वीसी के माध्यम से जनपद में ऐतिहासिक कलैक्ट्रेट (मल्ला महल) के पुर्ननिर्माण कार्यों व 13 डिस्ट्रिीक 13 डेस्टीनेशन के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कलैक्ट्रेट को हेरिटेज स्थल के रूप में विकसित किया जाना है इस हेतु पर्यटन विकास परिषद द्वारा पूर्व में ही रूप रेखा तैयार कर ली गयी है। उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देशित किया कि गये जा रहे कार्यों की स्वयं मॉनिटरिंग व कार्यों में तेजी लायी जाय। उन्होंने कहा कि सितम्बर माह के अन्त तक कलैक्ट्रेट का स्थानान्तरित की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिये।
सचिव ने कहा कि कार्य करने हेतु स्थान की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने के लिये प्रारम्भ में किसी भवन से सामान खाली कर दिया जाये जिससे कार्य प्रारम्भ किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस कार्य में स्थानीय जानकारो की मद््द ली जाये। सचिव ने इस दौरान 13 डिस्ट्रिीक 13 डेस्टीनेशन के अन्र्तगत किये जा रहे कार्यों की समीक्षा करते हुये आवश्यक दिशा निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द डीपीआर तैयार करते हुये प्रस्ताव शासन को प्रेषित कर दी जाये।
इस अवसर पर जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने बताया कि वर्तमान में रामशिला मंदिर में पुर्ननिर्माण कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है इसके अलावा जल्द ही रानीमहल व रिकार्ड रूम को खाली करते हुये में कार्य प्रारम्भ कर दिये जायेंगे। जिलाधिकारी ने बताया कि नवीन कलैक्ट्रेट में भी कार्य तेजी से चल रहा है। रिकार्ड रूम बनकर तैयार हो चुका है इसके बाद स्थानान्तरण की कार्यवाही की जायेगी। इस दौरान जिलाधिकारी ने कलैक्ट्रेट परिसर में किये जाने वाले कार्यों की जानकारी दी। वीसी में उपस्थित पर्यटन विकास अधिकारी राहुल चौबे ने पीपीटी के माध्यम से13 डिस्ट्रिीक 13 डेस्टीनेशन में किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी। वीसी में आपदा प्रबन्धन अधिकारी राकेश जोशी, समिति के सदस्य मुक्तिदत्ता, जयमित्र बिष्ट, पर्यटन विकास परिषद की आर्किटेट स्वाति राय, शीला तिवारी उपस्थित थे।
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पर्यटकों से गुलजार रही तीर्थनगरी http://thenationalnews.org/the-pilgrimage-is-buzzing-with-tourists/ http://thenationalnews.org/the-pilgrimage-is-buzzing-with-tourists/#respond Fri, 28 Feb 2020 17:27:33 +0000 https://news.nationalwartanews.com/2020/02/28/the-pilgrimage-is-buzzing-with-tourists/ ऋ षिकेष (संवाददाता)। गंगा पर शुक्रवार को दिन भर पर्यटकों की भीड़ रही। रंग बिरंगी राफ्टों पर पर्यटक मौजूद नजर आए। गंगापार कराने को मोटरवोट ने भी शुक्रवार को रिकार्ड फेरे लगाए। पर्यटकों की भीड़ से क्षेत्र के व्यवसायी भी उत्साहित दिखे। शुक्रवार को एनसीआर के अलावा हरियाणा, पंजाब से सबसे अधिक पर्यटक ऋषिकेश पहुंचे। …

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ऋ षिकेष (संवाददाता)। गंगा पर शुक्रवार को दिन भर पर्यटकों की भीड़ रही। रंग बिरंगी राफ्टों पर पर्यटक मौजूद नजर आए। गंगापार कराने को मोटरवोट ने भी शुक्रवार को रिकार्ड फेरे लगाए। पर्यटकों की भीड़ से क्षेत्र के व्यवसायी भी उत्साहित दिखे। शुक्रवार को एनसीआर के अलावा हरियाणा, पंजाब से सबसे अधिक पर्यटक ऋषिकेश पहुंचे। कैंपों में पर्यटकों की भीड़ के कारण गंगा में रंग बिरंगी राफ्ट का भी मूवमेंट अधिक नजर आया। करीब डेढ़ सौ से अधिक राफ्ट गंगा में नजर आईं। रामझूला व लक्ष्मणझूला पुलों पर भीड़ के चलते लोगों को गंगा पार करने में समय लगा। रामझूला से स्वर्गाश्रम गंगा पार कराने को मोटरवोट ने भी दिन भर में साठ से अधिक फेरे लगाए।एक फेरे में पचास से अधिक पर्यटक गंगापार करते हैं। दोपहर के समय सैलानी खतरनाक घाटों पर भी धूमते मिले। ब्रह्मपुरी से ऋषिकेश के बीच भी सभी घाट पर स्नान करने वालों की भीड़ रही। भीड़ होने से साहसिक पर्यटन से जुड़े व्यवसायियों के चेहरे खिले। साहसिक पर्यटन से जुड़े व्यवसायी भगवती प्रसाद ने बताया कि शुक्रवार को काफी भीड़ रही। कौडिय़ाला से लेकर बैराज तक राफ्टों में पर्यटकों की भीड़ रही। बताया कि आने वाले दिनों में लगातार भीड़ में इजाफा होगा।

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गंगोत्री के बाद यमुनोत्री धाम की शीतकालीन यात्रा का विधिवत आगाज http://thenationalnews.org/after-gangotri-yamunotri-dham-s-winter-journey-begins-duly/ http://thenationalnews.org/after-gangotri-yamunotri-dham-s-winter-journey-begins-duly/#respond Thu, 14 Nov 2019 18:15:05 +0000 https://news.nationalwartanews.com/2019/11/14/after-gangotri-yamunotri-dham-s-winter-journey-begins-duly/ उत्तरकाशी (संवाददाता)। यमुना के शीतकालीन प्रवास खुशीमठ में गुरुवार को यमुनोत्री धाम की शीतकालीन यात्रा का वैदिक मंत्रोच्चार व पूजा अर्चना के बाद बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिवप्रसाद ममगांई ने हरी झंडी दिखा कर शुभारंभ किया। जिसके बाद आज से यमुनोत्री धाम की शीतकालीन यात्रा का विधिवत आगाज हो गया …

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उत्तरकाशी (संवाददाता)। यमुना के शीतकालीन प्रवास खुशीमठ में गुरुवार को यमुनोत्री धाम की शीतकालीन यात्रा का वैदिक मंत्रोच्चार व पूजा अर्चना के बाद बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिवप्रसाद ममगांई ने हरी झंडी दिखा कर शुभारंभ किया। जिसके बाद आज से यमुनोत्री धाम की शीतकालीन यात्रा का विधिवत आगाज हो गया है और आज से यहां देश विदेश से आने वाले श्रद्धालु मां यमुना के दर्शन एवं पूजा अर्चना कर सकते हैं। यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज के पर्व पर बंद होने के बाद से शीतकाल में छह माह तक मां यमुना अपने शीतकालीन प्रवास खुशीमठ ने विराजती हैं। जहां यमुना के शीतकाल में दर्शन होंगे। शीतकालीन यात्रा का शुभारंभ करते हुए उत्तराखंड चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिव प्रसाद ममगांई ने कहा कि यमुनोत्री धाम की तरह ही खुशीमठ में भी मां यमुना के दर्शन तथा पूजा अर्चना देश-विदेश के श्रद्धालु कर सकते हैं। यहां यमुना स्नान के साथ ही यमुना दर्शन, शनिदेव के दर्शन एक साथ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यमुनोत्री धाम चारधाम यात्रा का पहला पड़ाव है और पहला पड़ाव होने से यहां की तमाम व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना तथा यहां का विकास उनकी पहली प्राथमिकता में है।यमुनोत्री धम्म की उपेक्षा से खफा तीर्थ पुरोहितों व पंचपण्डा समिति ने यमुनोत्री धाम की पीड़ा को उत्तराखंड चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष के सामने रखी। साथ ही यमुनोत्री धाम के लिए विशेष पैकेज व यहां के विकास के लिए दीर्घकालीन योजना बनाने की मांग रखी। मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल ने देश-विदेश के श्रद्धालुओं का आह्वान कर कहा है कि शीतकालीन यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया है और अब श्रद्धालु शीतकाल में 6 माह तक मां यमुना के दर्शन एवं पूजा-अर्चना खुशीमठ में कर सकते हैं। इस अवसर पर चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष सहित सभी ने रासो नृत्य भी किया।इस मौके पर एसडीएम अनुराग आर्य, तहसीलदार एमएस राणा, प्रवीन मंम्गाई, यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल, उपाध्यक्ष जगमोहन उनियाल, बागेश्वर उनियाल, पंचपण्डा समिति के अध्यक्ष वेदप्रकाश उनियाल, रमण प्रसाद, पवन, उनियाल, रत्नमणि उनियाल, विनोद उनियाल, रणवीर सिंह राणा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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तीर्थाटन-पर्यटन विकास को नई दिशा देने में बेहद सफल रहा उप्र विकास संवाद-2 http://thenationalnews.org/yogi-adityanath-needs-to-give-new-hue-to-tourism-with-spiritual-cultural-physique-yogi-adityanath/ http://thenationalnews.org/yogi-adityanath-needs-to-give-new-hue-to-tourism-with-spiritual-cultural-physique-yogi-adityanath/#respond Fri, 20 Sep 2019 17:37:39 +0000 https://news.nationalwartanews.com/2019/09/20/yogi-adityanath-needs-to-give-new-hue-to-tourism-with-spiritual-cultural-physique-yogi-adityanath/ आध्यात्मिक, सांस्कृतिक काया के साथ पर्यटन को नया कलेवर देना जरूरी: योगी आदित्यनाथलखनऊ (आरएनएस)। प्रदेश में तीर्थाटन, पर्यटन के विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों के बारे में लोगों को जानकारी देने के साथ क्षेत्रीय विकास के बारे में अवगत कराने के उद्देश्य से हिन्दुस्थान समाचार की ओर से शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित …

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आध्यात्मिक, सांस्कृतिक काया के साथ पर्यटन को नया कलेवर देना जरूरी: योगी आदित्यनाथ
लखनऊ (आरएनएस)। प्रदेश में तीर्थाटन, पर्यटन के विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों के बारे में लोगों को जानकारी देने के साथ क्षेत्रीय विकास के बारे में अवगत कराने के उद्देश्य से हिन्दुस्थान समाचार की ओर से शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित उत्तर प्रदेश विकास संवाद-2 कई मायनों में बेहद अहम रहा। इसमें प्रदेश के विधानसभा स्तर तक के तीर्थाटन और पर्यटन क्षेत्रों के बारे में लोगों को अवगत कराया गया। इनमें से कई तो ऐसे क्षेत्र हैं, जो बेहद महत्वपूर्ण होने के बावजूद अभी पर्यटन के नक्शे पर अपनी पहचान नहीं बना पाए हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के इस आयोजन की खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के तीर्थाटन और पर्यटन को नई दिशा देने में यह आयोजन बेहद सार्थक है और सरकार के प्रयासों में मददगार साबित होगा। उन्होंने इस मौके पर एक विधानसभा-एक पयर्टन केंद्र पर केंद्रित प्रदेश में तीर्थाटन-पयर्टन और क्षेत्रीय विकास के विविध आयामों को लेकर हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी की पत्रिका युगवार्ता के विशेषांक का लोकार्पण भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश बहुत समृद्ध है लेकिन उस समृद्धि को समाज के समक्ष लाने में अभी तक संवादहीनता और दूरदर्शिता के अभाव की स्थिति रही है। इस स्तर पर व्यापक काम होना चाहिए था, लेकिन नहीं हुआ। हिन्दुस्थान समाचार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिहाज से एक अच्छी पहल की है। इसके लिए मैं उसे साधुवाद देता हूं और उम्मीद करता हूं कि हिन्दुस्थान समाचार के इस प्रयास के अच्छे नतीजे देखने को मिलेंगे।
कूप मंडूक रहकर हम नहीं ला सकते परिवर्तन उन्होंने कहा कि परिवर्तन के लिए हमें मानसिक तौर पर तैयार रहना होगा। कूप मंडूक रहकर हम परिवर्तन नहीं ला सकते। इस स्थिति से उबरना होगा और आगे जाना होगा। उन्होंने कहा कि कृषि और पर्यटन का क्षेत्र उत्तर प्रदेश में सबसे उर्वर और जल संसाधन से भरपूर है। इन दोनों ही क्षेत्रों में विकास की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार ने ढाई साल में इस दिशा में जो प्रयास किए हैं, उसकी झलक देखने को मिल रही है।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पास अयोध्या, मथुरा, काशी, वृंदावन, नैमिष आदि कई प्रमुख तीर्थस्थल, बौद्धस्थल हैं, जो धार्मिक पर्यटन का हिस्सा है। पर्यटन को आध्यात्मिक पर्यटन तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए बल्कि उसे हैरिटेज, वन्यजीवन तक बढ़ाया जाए तो इसे योजना बनाकर रोजी-रोजगार से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। पर्यटन क्षेत्र को तीर्थाटन से आगे ले जाकर हम आर्थिक स्वावलम्बन की दृष्टि से बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर पर्व भारत में किसी न किसी ऐसी घटना से जुड़ा है, जो युग परिवर्तन करते हैं।
संतों से बात करके अयोध्या में शुरू की दीपोत्सव की परम्परा उन्होंने कहा कि अयोध्या में पहले दीपावली पर शस्त्र पूजन आदि कर लिया जाता था लेकिन हमारी सरकार ने संतों से बात कर सामूहिक रूप से दीपोत्सव मनाने की परम्परा शुरू की। अयोध्या के साथ दीपोत्सव अब जुड़ चुका है। योजना और सहभागिता साथ-साथ चले तो पर्यटन को नई दिशा दी जा सकती है। अयोध्या में पहले धर्मशालाएं हुआ करती थीं लेकिन अब अयोध्या का सर्वांगीण विकास होना है। अब वहां होटल और रेस्टोरेंट के लिए लोग हमसे सम्पर्क कर रहे हैं।

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मानसून को देखते हुए प्रशासन ने लगायी राफ्टिंग पर रोक http://thenationalnews.org/given-the-monsoon-the-administration-stopped-rafting/ http://thenationalnews.org/given-the-monsoon-the-administration-stopped-rafting/#respond Sun, 30 Jun 2019 17:52:19 +0000 https://news.nationalwartanews.com/2019/06/30/given-the-monsoon-the-administration-stopped-rafting/ ऋषिकेष (संवाददाता)। गंगा की लहरों में रोमांच का खेल रविवार शाम पांच बजे के बाद थम गया। अगले तीन माह तक साहसिक खेलों के शौकीन राफ्टिंग का लुत्फ नहीं उठा पायेंगे। मानसून को देखते हुए प्रशासन ने राफ्टिंग पर रोक लगा दी गई है। इन सबके बीच अंतिम दिन पर्यटकों ने राफ्टिंग का जमकर लुफ्त …

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ऋषिकेष (संवाददाता)। गंगा की लहरों में रोमांच का खेल रविवार शाम पांच बजे के बाद थम गया। अगले तीन माह तक साहसिक खेलों के शौकीन राफ्टिंग का लुत्फ नहीं उठा पायेंगे। मानसून को देखते हुए प्रशासन ने राफ्टिंग पर रोक लगा दी गई है। इन सबके बीच अंतिम दिन पर्यटकों ने राफ्टिंग का जमकर लुफ्त उठाया। तीर्थनगरी के गंगा तटों पर दिन भर पर्यटकों की भीड़ रही। यूं तो तीर्थनगरी वर्षभर पर्यटकों से गुलजार रहती है, लेकिन गर्मियों में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की आमद ज्यादा रहती है। इसकी मुख्य वजह तीर्थनगरी में रिवर राफ्टिंग का होना है। तीर्थनगरी में शनिवार और रविवार वीकेंड पर रिवर राफ्टिंग के लिए गंगा तटों पर पर्यटकों का हुजूम उमड़ता है। प्रशासन की ओर से रिवर राफ्टिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए समयावधि 30 जून निर्धारित की गई, इसके चलते अंतिम दिन तीर्थनगरी ऋषिकेश, मुनिकीरेती, शिवपुरी के गंगा तटों पर राफ्टिंग के लिए भारी भीड़ पहुंची और पर्यटकों ने जमकर राफ्टिंग का लुत्फ उठाया। ब्रह्मपुरी से लेकर मुनिकीरेती स्थित खारास्रोत तक गंगा में रंग-बिरंगी राफ्टें एक मनमोहक दृश्य के रूप में दिखायी दी। सुबह से लेकर शाम 5 बजे तक पर्यटक राफ्टिंग के लिए गंगा किनारे राफ्टिंग प्वाइंट पर खड़े नजर आए। इन दिनों ग्रीष्मकालीन छुट्टियां भी चल रही है, इससे बाहरी प्रांतों से राफ्टिंग करने के शौकीन तीर्थनगरी में पहुंचते रहे हैं। गंगा नदी राफ्टिंग रोटेशन समिति अध्यक्ष दिनेश भट्ट ने बताया की बारिश के चलते गंगा का जलस्तर बढऩे से जुलाई, अगस्त और सितंबर माह में राफ्टिंग पर प्रशासन ने रोक लगाई है। अब एक अक्तूबर से राफ्टिंग शुरू होगी। अंतिम दिन 1 हजार राफ्टें गंगा की लहरों में उतरी है। जिसका पर्यटकों ने खूब मजा लिया।

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हादसों से वन्यजीवों को बचाने के लिए लिया जाएगा तरंगों का सहारा http://thenationalnews.org/save-wildlife/ http://thenationalnews.org/save-wildlife/#respond Wed, 29 May 2019 17:34:11 +0000 https://news.nationalwartanews.com/2019/05/29/save-wildlife/ देहरादून (संवाददाता)। जिन तरंगों को मनुष्य अपने कानों से नहीं सुन सकता, अब वही तरंगें रेलवे ट्रैक पर होने वाले हादसों से वन्यजीवों को बचाएंगी। सिस्मिक वेव पर आधारित इस तकनीक पर देश में पहली बार उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व में काम हो रहा है। इससे मिलने वाले सिस्मिक सिग्नेचर से यह पता लग …

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देहरादून (संवाददाता)। जिन तरंगों को मनुष्य अपने कानों से नहीं सुन सकता, अब वही तरंगें रेलवे ट्रैक पर होने वाले हादसों से वन्यजीवों को बचाएंगी। सिस्मिक वेव पर आधारित इस तकनीक पर देश में पहली बार उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व में काम हो रहा है। इससे मिलने वाले सिस्मिक सिग्नेचर से यह पता लग जाएगा कि रेलवे ट्रैक के पास कौन से जानवर की मौजूदगी है। इसके बाद तुंरत ही इसकी सूचना रिजर्व प्रशासन के साथ ही रेलवे अधिकारियों को दी जाएगी, ताकि वन्यजीवों को ट्रेन की चपेट में आने से बचाया जा सके। यह एडवांस एनिमल डिटेक्शन सिस्टम करीब डेढ़ माह में आकार ले लेगा। राजाजी रिजर्व में इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से कांसरो-मोतीचूर- हरिद्वार के बीच होगा, जहां वन्यजीवों के ट्रेन की चपेट में आने की घटनाएं अक्सर सुर्खियां बनती हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व भी देश के उन संरक्षित क्षेत्रों में शामिल हैं, जहां से गुजर रही रेलवे लाइन वन्यजीवों के लिए काल बन रही है। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि बीते साढ़े तीन दशक के वक्फे में ही इस रिजर्व व उससे लगे रेलवे ट्रैक पर 29 हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हो चुकी है। इसमें उत्तराखंड बनने के बाद से अब तक के 13 हाथी भी शामिल हैं। लगातार गहराती इस समस्या के निदान के मद्देनजर ही यहां सिस्मिक आधारित एडवांस एनिमल डिटेक्शन सिस्टम विकसित करने का निश्चय किया गया। केंद्र सरकार के उपक्रम सेंट्रल साइंटिफिक इन्स्ट्रूमेंटेशन आर्गनाइजेशन चंडीगढ़, भारतीय वन्यजीव संस्थान, विश्व प्रकृति निधि और राजाजी टाइगर रिजर्व इस पहल को मुकाम तक पहुंचाने में जुटे हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पीके पात्रो बताते हैं कि देश में पहली बार वन्यजीव सुरक्षा के मद्देनजर सिस्मिक पर आधारित इस तकनीक का इस्तेमाल राजाजी में किया जा रहा है। इसके तहत कांसरो-मोतीचूर के बीच रेलवे ट्रैक के दोनों ओर करीब 200 मीटर के दायरे में सेंसर लगाए गए हैं। इनके जरिये किसी भी जानवर के वहां आने पर भूमि में होने वाली हलचल की तरंगें सिस्टम को मिलेंगी। तरंगों के घनत्व के आधार पता चलेगा कि वहां कौन सा जानवर है। इस कड़ी में पालतू हाथी को चलाकर इसका मापन करा लिया गया है। साथ ही अन्य छोटे जीवों को लेकर आने वाली तरंगों का भी आकलन कर लिया गया है। इन्हें नाम दिया गया है सिस्मिक सिग्नेचर। कंट्रोल रूम में लगे सिस्टम में सिस्मिक सिग्नेचर रिसीव होने पर सिस्टम तुरंत सक्रिय हो जाएगा। ऑटोमैटिक ही मैसेज के रूप में इसकी सूचना रिजर्व के कार्मिकों के साथ ही हरिद्वार रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर को जाएगी। इससे जहां रिजर्व का स्टाफ सतर्क हो जाएगा, वहीं स्टेशन मास्टर तब इस ट्रैक से गुजरने वाली ट्रेनों के लोको पायलट को गति सीमा नियंत्रित करने अथवा अन्य कदम उठाने को कहेंगे। जून मध्य तक काम करने लगेगा सिस्टम राजाजी रिजर्व के निदेशक पात्रों के मुताबिक इस सिस्टम को विकसित करने का कार्य पिछले आठ माह से चल रहा है। वर्तमान में डेमो भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जून मध्य तक यह सिस्टम काम करने लगेगा। हाथियों के साथ ही दूसरे वन्यजीवों की सुरक्षा के लिहाज से यह कदम खासा अहम होगा।

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